कई बार ब्लीडिंग सामान्य स्पॉटिंग, सर्विक्स की संवेदनशीलता या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के कारण होती है। कुछ महिलाओं में यह एक-दो दिन में खुद ही बंद हो जाती है। लेकिन यदि यह बार-बार हो रही हो, या दर्द, ऐंठन, कमजोरी और चक्कर के साथ दिखाई दे, तो यह किसी गम्भीर समस्या का संकेत हो सकता है। इस अवस्था में डॉक्टर की सलाह लेना और शरीर के संकेतों को समझना सबसे जरूरी कदम है।
३ महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना – सामान्य या असामान्य
तीसरे महीने में हल्की ब्लीडिंग या गुलाबी रंग की स्पॉटिंग कई बार सामान्य होती है। ऐसा गर्भाशय में भ्रूण के स्थिर होने, हार्मोनल उतार-चढ़ाव या यौन संबंध के बाद हो सकता है। बहुत सी महिलाएँ रिपोर्ट करती हैं कि स्पॉटिंग कुछ घंटों में अपने आप रुक जाती है और बच्चा पूरी तरह स्वस्थ रहता है।
हालांकि, यदि किसी महिला को पहले भी 2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना जैसी समस्या रही हो, तो तीसरे महीने में भी यह दोबारा हो सकती है। ऐसे में विशेष सावधानी और डॉक्टर की निगरानी में रहना जरूरी है।
लेकिन यदि ब्लीडिंग का रंग गहरा लाल है, साथ में कमर दर्द या थकान महसूस हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि गर्भ को अतिरिक्त ध्यान की आवश्यकता है। तीसरे महीने की प्रेगनेंसी में स्पॉटिंग लगातार बनी रहे तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड जांच के जरिए यह सुनिश्चित करते हैं कि भ्रूण का विकास सामान्य है या नहीं।
प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग के कारण
ब्लीडिंग के कारणों को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे सही उपचार की दिशा तय होती है।
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग: यह तब होती है जब भ्रूण गर्भाशय की दीवार में स्थिर होता है। इसमें बहुत हल्का रक्तस्राव होता है जो 1–2 दिन में बंद हो जाता है।
- हार्मोनल असंतुलन: प्रोजेस्टेरोन की कमी या एस्ट्रोजन की अधिकता गर्भाशय की परत को कमजोर कर देती है, जिससे हल्की ब्लीडिंग होती है।
- सर्विक्स की संवेदनशीलता: गर्भावस्था में सर्विक्स नरम हो जाता है। यौन संबंध, इंटरनल जांच या अल्ट्रासाउंड के बाद ब्लीडिंग हो सकती है।
- गर्भपात के लक्षण: अगर ब्लीडिंग तेज़ है, पेट में ऐंठन या पीठ दर्द है, तो यह गर्भपात का संकेत हो सकता है।
- सर्वाइकल इंफेक्शन या पॉलिप्स: कुछ मामलों में ग्रीवा पर पॉलिप (छोटी गांठ) या संक्रमण के कारण रक्तस्राव होता है।
- प्लेसेंटा की समस्या: प्लेसेंटा का निचले हिस्से में लगना (Placenta Previa) या उसका आंशिक अलग होना ब्लीडिंग का कारण बन सकता है।
कई बार शुरुआती महीनों में होने वाली स्पॉटिंग 1 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना जैसी होती है, जो सामान्य हो सकती है। लेकिन अगर ब्लीडिंग बार-बार हो या दर्द के साथ हो, तो इसे सामान्य नहीं माना जाना चाहिए।
ब्लीडिंग में क्या सावधानी रखें
अगर ३ महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना शुरू हो जाए, तो तुरंत कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए:
- शरीर को आराम दें: ज्यादा चलना-फिरना या भारी सामान उठाना ब्लीडिंग को बढ़ा सकता है।
- डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें: कई दवाएं भ्रूण के विकास पर असर डाल सकती हैं।
- सेक्सुअल रिलेशन से बचें: जब तक डॉक्टर अनुमति न दें, यौन संबंध से दूरी बनाना जरूरी है।
- आयरन और फोलेट से भरपूर डाइट लें: यह रक्त की कमी को रोकने में मदद करता है।
- हाइड्रेशन बनाए रखें: पर्याप्त पानी पीने से शरीर में संतुलन रहता है और डिहाइड्रेशन से राहत मिलती है।
- तनाव से बचें: मानसिक तनाव हार्मोनल असंतुलन बढ़ा सकता है, जिससे ब्लीडिंग की समस्या दोबारा हो सकती है।
कई बार महिलाएं ब्लीडिंग को छिपा लेती हैं, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है। जितनी जल्दी डॉक्टर से संपर्क किया जाएगा, उतना बेहतर होगा।
ब्लीडिंग होने पर क्या करें
ब्लीडिंग का पता चलते ही सबसे पहले डॉक्टर को सूचित करें। भले ही यह हल्की हो, इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
डॉक्टर आवश्यक परीक्षण करवाते हैं –
- अल्ट्रासाउंड जांच: भ्रूण की स्थिति और धड़कन जांचने के लिए।
- हार्मोन टेस्ट: प्रोजेस्टेरोन और hCG लेवल की जानकारी के लिए।
- सर्विक्स जांच: किसी संक्रमण या पॉलिप्स की जांच के लिए।
अगर डॉक्टर को गर्भपात या प्लेसेंटा समस्या का शक होता है, तो वे बेड रेस्ट, मेडिसिन या हॉस्पिटल ऑब्जर्वेशन की सलाह देते हैं।
इस दौरान गर्भवती महिला को किसी भी प्रकार के तनाव, लंबी यात्रा या अत्यधिक शारीरिक कार्य से बचना चाहिए।
डॉक्टर से कब संपर्क करें
आपको डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए यदि:
- ब्लीडिंग लगातार बढ़ रही है या रंग गहरा लाल है।
- ब्लीडिंग के साथ तेज़ पेट दर्द, कमर दर्द या ऐंठन हो रही है।
- कमजोरी, चक्कर या बुखार महसूस हो रहा है।
- पहले गर्भपात या जटिल गर्भ का अनुभव रहा हो।
- डिस्चार्ज में बदबू या असामान्य रंग दिखाई दे।
डॉक्टर आपकी स्थिति देखकर अल्ट्रासाउंड, हार्मोन जांच और आवश्यक दवा की सलाह देंगे।
३ महीने की प्रेगनेंसी में स्पॉटिंग और गर्भपात का जोखिम
स्पॉटिंग हल्की और सामान्य हो सकती है, लेकिन बार-बार या बढ़ती ब्लीडिंग गर्भपात का संकेत बन सकती है।
अगर डॉक्टर को भ्रूण की स्थिति कमजोर लगती है, तो वे अतिरिक्त हार्मोन सपोर्ट या इंजेक्शन की सलाह दे सकते हैं।
इस दौरान माँ को बेड रेस्ट, हेल्दी डाइट और मानसिक शांति बनाए रखना चाहिए।
कई बार ब्लीडिंग के बावजूद गर्भ स्वस्थ रहता है, लेकिन ऐसा तभी संभव है जब महिला समय पर चिकित्सकीय सलाह ले और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता दे।
निष्कर्ष
३ महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना एक ऐसा लक्षण है जो हर महिला को सचेत कर देता है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है।अधिकांश मामलों में यह हार्मोनल बदलाव या सर्विक्स की संवेदनशीलता से जुड़ा होता है।
फिर भी, यदि ब्लीडिंग के साथ दर्द, थकान, या असामान्य लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। गर्भावस्था के दौरान समय पर जांच, सही खानपान और सकारात्मक मानसिकता सबसे बड़ा सहारा है।
स्वस्थ सोच और चिकित्सकीय निगरानी से आप अपने बच्चे और खुद की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं।


