कई बार महिलाएं कामकाजी व्यस्तता या तनाव के कारण इस समस्या को नज़रअंदाज़ कर देती हैं, लेकिन यह आदत आगे चलकर बड़ी परेशानियों का कारण बन सकती है। अगर आप यह महसूस करती हैं कि आपका फ्लो पहले की तुलना में लगातार कम हो रहा है, तो समय रहते कारणों को समझना और उपचार शुरू करना बहुत जरूरी है।
पीरियड कम आने का मतलब क्या है?
जब मासिक धर्म के दौरान सामान्य मात्रा से कम रक्तस्राव होता है या पीरियड्स बहुत जल्दी खत्म हो जाते हैं, तो इसे हाइपोमेनेरिया (Hypomenorrhea) कहा जाता है।
ऐसी स्थिति में पीरियड्स 2 दिन या उससे भी कम समय के लिए आ सकते हैं, और फ्लो बहुत हल्का होता है। यह अक्सर हार्मोनल असंतुलन के कारण या जीवनशैली में बदलाव की वजह से होता है।
कुछ मामलों में यह अस्थायी भी हो सकता है, जैसे तनावपूर्ण महीनों, यात्रा, या किसी नई दवा के सेवन के दौरान। लेकिन अगर यह स्थिति लगातार बनी रहे, तो यह किसी गहरी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है।
इस दौरान महिलाएं अक्सर जानना चाहती हैं कि पीरियड आने के संकेत क्या हैं और शरीर में कौन‑कौन से बदलाव आते हैं।
पीरियड कम आने के कारण
पीरियड कम आने के कारण कई हो सकते हैं कुछ सामान्य तो कुछ गंभीर। अगर यह समस्या बार-बार होती है, तो इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
1. हार्मोनल असंतुलन
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा में बदलाव से गर्भाशय की परत ठीक से नहीं बन पाती, जिससे पीरियड फ्लो कम हो जाता है। लंबे समय तक हार्मोनल असंतुलन रहने पर PCOD, थायरॉयड और इन्फर्टिलिटी जैसी समस्याएँ भी विकसित हो सकती हैं।
2. तनाव और नींद की कमी
लगातार मानसिक तनाव और नींद पूरी न होना शरीर के हार्मोन स्तर को प्रभावित करता है। इससे ओव्यूलेशन पर असर पड़ता है और पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।
3. थायरॉयड की समस्या
थायरॉयड ग्रंथि की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी से भी मासिक धर्म की अनियमितता बढ़ जाती है। थायरॉयड हार्मोन का स्तर बढ़ने या घटने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बदलता है, जिससे पीरियड्स में देरी या फ्लो में कमी आ सकती है।
4. वजन में उतार-चढ़ाव
बहुत कम या बहुत अधिक वजन शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे पीरियड फ्लो कम हो जाता है। खासकर अत्यधिक वजन घटाने वाली डाइट या एक्सरसाइज से भी यह समस्या देखी जाती है।
5. गर्भनिरोधक गोलियाँ
लंबे समय तक बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करने से भी पीरियड्स हल्के या कम हो सकते हैं
पीरियड कम आने के लक्षण
पीरियड कम आने के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य संकेत इस प्रकार हैं:
- बहुत हल्का रक्तस्राव या केवल स्पॉटिंग
- पीरियड 1-2 दिन में खत्म होना
- पेट या कमर दर्द में बदलाव
- सिरदर्द, थकान या कमजोरी महसूस होना
- मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन
- चेहरे पर पिंपल्स या बालों का झड़ना
कभी-कभी हल्के पीरियड्स के साथ भूख कम लगना, पाचन संबंधी गड़बड़ी या पेट फूला हुआ महसूस होना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। यदि यह समस्या बार-बार होती है, तो यह संकेत है कि शरीर को संतुलन की जरूरत है।
पीरियड कम आने के नुकसान
पीरियड कम आने के नुकसान केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और हार्मोनल स्तर पर भी प्रभाव डालते हैं।
प्रजनन स्वास्थ्य पर असर
कम फ्लो या अनियमित पीरियड्स से ओव्यूलेशन प्रभावित होता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे, तो महिलाएं प्रजनन समस्याओं का सामना कर सकती हैं। इसके कारण फर्टिलिटी टेस्ट की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
हार्मोनल असंतुलन का खतरा
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के असंतुलन से शरीर में कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं।
- PCOD और थायरॉयड जैसी ग्रंथि समस्याएँ
- मासिक धर्म चक्र की गंभीर अनियमितताएँ
- हार्मोनल झटके और मूड स्विंग्स
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
लगातार अनियमित पीरियड्स से मूड स्विंग्स, तनाव और चिंता जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
महिलाएं कभी-कभी डिप्रेशन, आत्म-संकोच और बेचैनी जैसी मानसिक समस्याओं का अनुभव कर सकती हैं, क्योंकि हार्मोनल असंतुलन सीधे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।
हड्डियों और त्वचा पर असर
हार्मोनल गड़बड़ी से त्वचा में रूखापन, एक्ने और बालों के झड़ने जैसी समस्याएँ देखने को मिलती हैं।
साथ ही एस्ट्रोजन के कम स्तर से हड्डियों की मजबूती कम हो सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
रक्त की कमी और थकान
हल्के पीरियड्स लंबे समय तक शरीर में आयरन की कमी पैदा कर सकते हैं।
इससे थकान, कमजोरी, चक्कर और शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है।
इसके कारण रोजमर्रा के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है और महिला को लंबे समय तक कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है।
हार्मोनल चक्र पर दीर्घकालिक प्रभाव
लगातार हल्के पीरियड्स हार्मोनल चक्र को अस्थायी रूप से स्थिर बनाए रखते हैं, लेकिन लंबे समय में यह चक्र पूरी तरह प्रभावित हो सकता है।
यह स्थिति महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, ओव्यूलेशन रुकना और हार्मोनल डिसऑर्डर का कारण बन सकती है।
हार्मोनल असंतुलन के कारण
हार्मोनल असंतुलन आज की तेज़-रफ़्तार जीवनशैली का एक आम परिणाम है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
- नींद की कमी और तनाव
- असंतुलित आहार
- अत्यधिक जंक फूड और शुगर का सेवन
- अधिक कैफीन और शराब
- किसी दवा का साइड इफेक्ट
जब हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो शरीर का पूरा सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे पीरियड नियमित करने के उपाय अपनाना आवश्यक हो जाता है।
पीरियड्स को रेगुलर कैसे करें?
अगर आपके पीरियड्स बार-बार कम आ रहे हैं, तो कुछ आसान आदतें अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
संतुलित आहार लें
अपने आहार में हरी सब्ज़ियाँ, फल, अनाज, आयरन और विटामिन-B12 शामिल करें। साथ ही दिन में समय पर भोजन करें ताकि ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहे।
नियमित योग और व्यायाम करें
योगासन जैसे भद्रासन, प्राणायाम और सूर्य नमस्कार हार्मोन संतुलित रखने में मदद करते हैं।
यदि आपको यह महसूस हो कि पीरियड मिस होने वाला है, तो समय रहते पीरियड मिस होने से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट कब करे इसकी जानकारी लेना बहुत जरूरी है।
पर्याप्त नींद लें
रोज़ाना कम से कम 7–8 घंटे की नींद लें ताकि शरीर को आराम मिल सके और हार्मोनल सिस्टम सही काम करे।
तनाव को कम करें
मेडिटेशन, प्राणायाम और प्राकृतिक वातावरण में समय बिताना तनाव कम करने का प्रभावी तरीका है।
पीरियड हेल्थ सुधारने के घरेलू उपाय
अगर आप प्राकृतिक तरीकों से अपने पीरियड्स को रेगुलर करना चाहती हैं, तो ये घरेलू उपाय बेहद कारगर हो सकते हैं।
अदरक और गुड़
गर्म अदरक का रस और गुड़ मिलाकर रोज़ाना सेवन करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और पीरियड्स नियमित होते हैं।
मेथी के दाने
सुबह खाली पेट भिगोए हुए मेथी दाने खाना हार्मोनल असंतुलन के कारण को कम करता है।
पपीता और अनानास
ये फल गर्भाशय की मांसपेशियों को सक्रिय करते हैं, जिससे पीरियड आने में मदद मिलती है।
पानी अधिक पिएँ
पर्याप्त पानी पीने से शरीर डिटॉक्स होता है और हार्मोन संतुलन बना रहता है।
इसके अलावा, तुलसी के पत्तों का सेवन और एलोवेरा जूस भी मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक माने जाते हैं।
निष्कर्ष
पीरियड कम आने के नुकसान को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में चल रहे असंतुलन का संकेत देता है।
अगर समय पर कारणों की पहचान कर ली जाए और जीवनशैली में बदलाव लाए जाएँ, तो इस समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
संतुलित आहार, योग, पर्याप्त नींद और तनाव-मुक्त जीवनशैली अपनाने से मासिक धर्म की अनियमितता को दूर किया जा सकता है।
अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें ताकि भविष्य की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके।


