हालांकि यह सब सुनने में आकर्षक और दिलचस्प लगता है, लेकिन यह समझना बेहद जरूरी है कि आठवें महीने में लड़के के लक्षण कहे जाने वाले अधिकांश संकेत केवल पारंपरिक मान्यताओं का हिस्सा हैं। इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। फिर भी, क्योंकि ये मान्यताएँ समाज में बहुत लोकप्रिय हैं, इसलिए इन्हें समझना और उनके पीछे के तथ्यों को जानना आवश्यक है।

आठवें महीने में लड़के के लक्षण: पारंपरिक मान्यताएं

भारत में गर्भावस्था को लेकर कई रीति-रिवाज़ और परंपराएँ सदियों से चली आ रही हैं। इन्हें कई बार वैज्ञानिक सच्चाई से जोड़ने की कोशिश की जाती है, लेकिन ये ज़्यादातर अनुभव और सामाजिक कथाओं पर आधारित होती हैं।

1. प्रेगनेंसी में पेट का आकार

बहुत सी महिलाएँ आठवें महीने में महसूस करती हैं कि पेट पहले से काफी बदल गया है। कई बार पेट काफी नीचे की ओर झुका हुआ दिखता है, जिससे लोग तुरंत कह देते हैं कि “लड़का होगा।”
हालाँकि पेट का आकार इस बात पर भी निर्भर करता है कि

  • महिला पहली बार गर्भवती है या नहीं,
  • पेट की मसल्स कितनी मजबूत हैं,
  • बच्चा किस दिशा में लेटा है,
  • और क्या माँ के पास ट्विन प्रेगनेंसी का इतिहास है या नहीं।

कई बार पेट दिन के अलग-अलग समय में भी आकार बदलता हुआ लगता है। खाना खाने के बाद पेट ज्यादा बाहर दिखना आम बात है। इसलिए केवल पेट देखकर किसी भी प्रकार का अनुमान लगाना सही नहीं है।

2. गर्भ में बच्चे की हरकतें

आठवें महीने में बच्चे की गतिविधि अपने चरम पर होती है। इस समय बच्चा हाथ-पाँव मारना, पलटना और खिंचाव करना ज्यादा करता है।
कई महिलाओं को लगता है कि मूवमेंट बहुत तेज है तो लड़का होगा।

लेकिन बच्चे की हरकतें निम्न कारणों से बदल सकती हैं:

  • बच्चा किस समय अधिक सक्रिय रहता है
  • माँ ने क्या खाया है
  • माँ कितनी थकी हुई है
  • बच्चे की पोज़िशन
  • एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा

अगर बच्चा उल्टा है (ब्रीच पोज़िशन), तो भी हरकतें अलग महसूस हो सकती हैं। इसलिए हरकतों को लिंग का संकेत मानना केवल मिथक है।

3. फूड क्रेविंग्स में बदलाव

प्रेगनेंसी में क्रेविंग्स बढ़ना सामान्य है। कुछ लोग कहते हैं कि नमकीन चीज़ों की तीव्र इच्छा लड़के का संकेत है, लेकिन यह शरीर की अलग-अलग ज़रूरतों से जुड़ा होता है।
उदाहरण:

  • बॉडी में सोडियम की कमी होने पर नमकीन खाने की लालसा बढ़ जाती है
  • ऊर्जा कम होने पर मीठा खाने का मन करता है
  • हार्मोनल उतार-चढ़ाव अचानक भूख बढ़ा सकते हैं

आठवें महीने में बच्चा तेजी से वजन बढ़ाता है, इसलिए माँ को अधिक पोषण की जरूरत पड़ती है। उसकी वजह से क्रेविंग्स भी ज्यादा महसूस होती हैं- न कि बच्चे के लिंग की वजह से।

4. थकान और पसीने में बदलाव

कुछ महिलाएँ कहती हैं कि लड़का होने पर उनकी ऊर्जा अचानक बढ़ गई और उन्हें थकान पहले जैसी नहीं हो रही।
कई लोग यहाँ तक मानते हैं कि लड़के की माँ का चेहरा चमकता है, जबकि लड़की होने पर थकान ज्यादा दिखती है।

लेकिन सच्चाई यह है कि थकान माँ के

  • आयरन लेवल
  • नींद की गुणवत्ता
  • मानसिक तनाव
  • पोषण
  • ब्लड वॉल्यूम
    पर निर्भर करती है।

इस समय कई महिलाओं को ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन भी महसूस होते हैं, जिन्हें कई बार लोग असली दर्द समझ लेते हैं। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: गर्भावस्था के 9 महीने में झूठी दर्द

आठवें महीने तक गर्भाशय का वजन इतना बढ़ जाता है कि फेफड़ों पर दबाव आता है, जिससे रात में बार-बार जागना पड़ता है और थकान बढ़ती है। इसका लिंग से कोई लेना-देना नहीं।

5. पेट का ऊपर या नीचे झुकाव

आठवें महीने में बच्चा धीरे-धीरे नीचे की ओर आने लगता है। इसे “लाइटनिंग” या “ड्रॉपिंग” भी कहा जाता है।
कुछ लोग इसे लड़के का संकेत मानते हैं, लेकिन यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। खासकर जिन महिलाओं की डिलीवरी नज़दीक होती है, उनके पेट का झुकाव नीचे दिखना सामान्य है।

कुछ महिलाएँ कहती हैं कि उनका पेट ऊपर की ओर खिंचा रहता है, जिससे वे यह मान लेती हैं कि शायद लड़की है, जबकि यह महज बच्चे की पोज़िशन और माँ के मसल टोन का परिणाम है।

गर्भावस्था में बच्चे का लिंग: वैज्ञानिक तथ्य

वैज्ञानिक रूप से प्रूफ केवल DNA आधारित होता है।
बच्चे का लिंग गर्भाधान के पहले ही क्षण में तय हो जाता है और इसे बदलना संभव नहीं।
माँ के शरीर में होने वाले बदलाव बच्चे की वृद्धि से जुड़े होते हैं, उसके लिंग से नहीं।

भारत में अल्ट्रासाउंड से लिंग पहचान

अल्ट्रासाउंड बच्चे के स्वास्थ्य की स्थिति बताता है – जैसे

  • हृदय की धड़कन
  • बच्चे की ग्रोथ
  • प्लेसेंटा की स्थिति
  • एमनियोटिक फ्लूइड

इसका उपयोग लिंग बताने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

जेनेटिक टेस्टिंग (NIPT) का सच

ये टेस्ट भ्रूण में होने वाली समस्याओं का पता लगाने के लिए किए जाते हैं। कुछ देशों में ये लिंग भी बताते हैं, लेकिन भारत में इसका खुलासा नहीं किया जाता।

प्रेगनेंसी में शरीर में बदलाव

आठवें महीने में होने वाले बदलाव माँ को भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करते हैं। शरीर भारी लगने के कारण कुछ महिलाएं चिड़चिड़ी हो जाती हैं, जबकि कुछ का मूड पहले से ज्यादा शांत हो सकता है।
लगातार पेट में खिंचाव महसूस होना सामान्य है क्योंकि बच्चे की ग्रोथ अपने अंतिम स्तर पर होती है।

कई महिलाएँ इस समय हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण त्वचा, बाल और चेहरे पर बदलाव महसूस करती हैं। कुछ को चेहरे पर चमक आती है, जबकि कुछ को मुंहासे या रूखापन महसूस हो सकता है। पीसीओडी वाली महिलाओं में ये बदलाव और भी अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, अधिक जानने के लिए आप पढ़ सकते हैं – PCOD क्या है और पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?

आम शारीरिक बदलाव

कई बार महिलाओं को पीठ में दर्द बहुत बढ़ जाता है, खासकर रात के समय। इसका कारण यह होता है कि बच्चे का वजन बढ़कर निचले हिस्से पर अधिक दबाव डालने लगता है।
कुछ महिलाओं को ऐसा लगता है कि बच्चा लगातार नीचे धकेल रहा है, जिससे वजाइना में भी हल्का दर्द महसूस होता है।

ये सभी संकेत बच्चे के लिंग से नहीं बल्कि गर्भाशय के फैलने से होते हैं।

आठवें महीने की प्रेगनेंसी में देखभाल कैसे करें?

आठवें महीने में देखभाल करते समय यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि शरीर को पहले से ज्यादा आराम और पोषण चाहिए।
महिलाओं को इस समय भारी भोजन की बजाय हल्का, पौष्टिक और बार-बार खाने की सलाह दी जाती है।

पानी की कमी से शरीर थका हुआ लगता है और पैरों में ऐंठन भी हो सकती है, इसलिए पानी ज्यादा पीना फायदेमंद है।

डॉक्टर आमतौर पर इस महीने में

  • बच्चे की पोज़िशन
  • वजन
  • और मूवमेंट
    का खास ध्यान रखने को कहते हैं।
    अगर मूवमेंट अचानक कम हो जाए तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है।

निष्कर्ष

आठवें महीने में लड़के के लक्षण कहे जाने वाले संकेत सिर्फ पारंपरिक मान्यताएं हैं।
इनमें से कोई भी चीज़:

  • पेट का आकार
  • हरकतें
  • क्रेविंग्स
  • थकान
  • चेहरा
    बच्चे का लिंग नहीं बता सकते।

गर्भावस्था का यह दौर माँ और बच्चे की सेहत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए मिथकों या मान्यताओं के बजाय डॉक्टर की सलाह, पोषण और आराम को प्राथमिकता देना चाहिए।