दरअसल, प्रसव के बाद शरीर को रिकवरी के लिए समय चाहिए होता है। गर्भावस्था के दौरान जो हॉर्मोन बढ़े होते हैं, वे धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। यही वजह है कि कुछ महिलाओं को जल्दी पीरियड आने लगते हैं, जबकि कुछ को कई महीनों तक मासिक धर्म नहीं होता।
इसका समय हर महिला के शरीर, स्तनपान की स्थिति और हॉर्मोनल संतुलन पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं पूरी जानकारी विस्तार से।
डिलीवरी के बाद पीरियड कब आता है?
आमतौर पर डिलीवरी के 6 से 8 सप्ताह बाद यानी लगभग डेढ़ से दो महीने के भीतर पीरियड वापस आ सकते हैं। हालांकि यह हर महिला के लिए अलग-अलग होता है।
अगर महिला स्तनपान करा रही है तो पीरियड आने में और देरी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्तनपान के दौरान शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनता है जो दूध बनाने में मदद करता है और ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्जन) को रोक देता है।
इसलिए स्तनपान कराने वाली महिलाओं में डिलीवरी के बाद मासिक चक्र 4 से 6 महीने या कभी-कभी एक साल बाद तक भी शुरू हो सकता है। वहीं जो महिलाएं स्तनपान नहीं करा रही हैं, उनमें 6 से 10 सप्ताह के भीतर पीरियड लौट सकते हैं।
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डिलीवरी के बाद पीरियड देरी के कारण
डिलीवरी के बाद पीरियड देरी होना बिल्कुल सामान्य है। यह देरी शरीर में हॉर्मोनल परिवर्तन, शारीरिक थकान और पोषण की कमी के कारण होती है।
प्रोलैक्टिन हॉर्मोन के बढ़ने से ओव्यूलेशन रुक जाता है, जिससे मासिक धर्म देर से आता है। इसके अलावा प्रसव के बाद गर्भाशय को अपनी सामान्य स्थिति में आने में भी समय लगता है।
तनाव, नींद की कमी, मानसिक दबाव और कमजोरी भी मासिक चक्र को प्रभावित कर सकते हैं।
अगर पीरियड लंबे समय तक न आएं या असामान्य रूप से भारी हों तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
सी-सेक्शन के बाद पीरियड कब आता है
सी-सेक्शन के बाद पीरियड सामान्य डिलीवरी की तरह ही लौटते हैं, लेकिन शरीर की रिकवरी में थोड़ा अधिक समय लग सकता है।
सी-सेक्शन में सर्जरी होती है जिससे शरीर को अंदर से ठीक होने में समय लगता है।
- सी-सेक्शन के बाद आमतौर पर 8 से 12 सप्ताह के भीतर मासिक धर्म वापस आ सकता है।
- अगर आप स्तनपान करा रही हैं तो प्रोलैक्टिन हॉर्मोन सक्रिय रहने के कारण पीरियड आने में देरी हो सकती है।
- शुरुआती कुछ पीरियड्स भारी या अनियमित हो सकते हैं जो पूरी तरह सामान्य बात है।
अगर अत्यधिक ब्लीडिंग, दर्द या कमजोरी महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
नॉर्मल डिलीवरी के बाद पीरियड कब आता है
नॉर्मल डिलीवरी के बाद पीरियड आमतौर पर 6 से 8 हफ्तों में वापस आने लगता है, लेकिन यह स्तनपान की स्थिति पर निर्भर करता है।
जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं उनमें ओव्यूलेशन देर से होता है, जिससे मासिक धर्म में देरी होती है।
जो महिलाएं स्तनपान नहीं करातीं, उनमें ओव्यूलेशन जल्दी शुरू हो जाता है और पीरियड जल्द आ जाते हैं।
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स्तनपान और पीरियड का संबंध
स्तनपान और पीरियड का संबंध बहुत गहरा होता है।
बच्चे को दूध पिलाने के दौरान शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो ओव्यूलेशन को रोकता है। इस कारण से स्तनपान कराने वाली माताओं में मासिक धर्म रुक जाता है या देर से आता है।
हालांकि यह समझना जरूरी है कि पीरियड न आने का मतलब यह नहीं है कि गर्भधारण नहीं हो सकता।
कभी-कभी ओव्यूलेशन बिना पीरियड के भी हो सकता है। इसलिए अगर आप दोबारा गर्भधारण नहीं चाहतीं, तो गर्भनिरोधक उपाय जरूर अपनाएं।
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हॉर्मोनल बदलाव के कारण
डिलीवरी के बाद शरीर में कई हॉर्मोनल परिवर्तन होते हैं जो मासिक चक्र को प्रभावित करते हैं। गर्भावस्था और प्रसव के बाद हॉर्मोनल स्तर में उतार-चढ़ाव होना पूरी तरह सामान्य है। नीचे प्रमुख कारण दिए गए हैं:
- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में गिरावट: गर्भावस्था के दौरान ये हॉर्मोन अधिक मात्रा में बनते हैं, लेकिन प्रसव के बाद अचानक कम हो जाते हैं जिससे शरीर को नया संतुलन बनाने में समय लगता है।
- प्रोलैक्टिन का बढ़ना: यह हॉर्मोन दूध उत्पादन में मदद करता है और साथ ही ओव्यूलेशन को दबा देता है जिससे पीरियड देर से आते हैं।
- थायरॉइड हॉर्मोन में असंतुलन: कुछ महिलाओं में डिलीवरी के बाद थायरॉइड की समस्या हो सकती है जो पीरियड की अनियमितता का कारण बनती है।
- कॉर्टिसोल स्तर बढ़ना: नींद की कमी, तनाव और थकान के कारण कॉर्टिसोल (stress hormone) बढ़ जाता है जो मासिक चक्र को प्रभावित करता है।
- वजन में उतार-चढ़ाव: अचानक वजन घटने या बढ़ने से भी हॉर्मोनल असंतुलन होता है जिससे मासिक धर्म में देरी होती है।
इन हॉर्मोनल परिवर्तनों से मूड स्विंग, नींद की कमी, बाल झड़ना और त्वचा पर पिगमेंटेशन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इन्हें संतुलित रखने के लिए पौष्टिक आहार, योग और पर्याप्त पानी पीना जरूरी है।
पीरियड आने में देरी के कारण
डिलीवरी के बाद पीरियड आने में देरी सामान्य बात है, लेकिन इसके कई आंतरिक कारण हो सकते हैं। नीचे प्रमुख कारणों की सूची दी गई है:
- स्तनपान की प्रक्रिया: स्तनपान के दौरान प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ता है जो ओव्यूलेशन को रोकता है और पीरियड देर से आते हैं।
- नींद की कमी: नवजात शिशु की देखभाल के कारण पर्याप्त नींद न मिलना हॉर्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है।
- तनाव और मानसिक दबाव: प्रसव के बाद मानसिक तनाव और जिम्मेदारियाँ भी पीरियड में देरी कर सकती हैं।
- शारीरिक थकान: शरीर की ऊर्जा और पोषण की कमी ओव्यूलेशन चक्र को प्रभावित करती है।
- आहार असंतुलन: आयरन, कैल्शियम या प्रोटीन की कमी हॉर्मोनल कार्यप्रणाली को धीमा करती है जिससे मासिक धर्म में विलंब होता है।
- थायरॉइड या अन्य स्वास्थ्य समस्या: अगर छह महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी पीरियड नहीं आते, तो यह हॉर्मोनल विकार या थायरॉइड असंतुलन का संकेत हो सकता है।
- वजन में बदलाव: अत्यधिक वजन घटने या बढ़ने से शरीर का हॉर्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है जिससे मासिक धर्म की नियमितता प्रभावित होती है।
यदि पीरियड लंबे समय तक न आएं या असामान्य ब्लीडिंग, दर्द या कमजोरी महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
डिलीवरी के बाद मासिक चक्र कैसे सामान्य करें
डिलीवरी के बाद मासिक चक्र को सामान्य बनाने के लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- पौष्टिक और संतुलित आहार लें जिसमें हरी सब्जियाँ, फल, दूध और प्रोटीन शामिल हों।
- पर्याप्त पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें।
- हल्का व्यायाम या योग शुरू करें ताकि शरीर सक्रिय रहे।
- तनाव और चिंता से दूर रहें तथा पर्याप्त नींद लें।
- स्तनपान के दौरान डॉक्टर की सलाह से आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट लें।
इन आदतों को अपनाकर आप अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से हॉर्मोनल संतुलन में ला सकती हैं और मासिक चक्र को सामान्य कर सकती हैं।
निष्कर्ष
डिलीवरी के कितने दिन बाद पीरियड आता है इसका कोई तय समय नहीं होता क्योंकि हर महिला का शरीर अलग होता है।
यदि आप स्तनपान करा रही हैं तो पीरियड आने में देरी पूरी तरह सामान्य है, जबकि न कराने पर यह जल्दी लौट सकता है।
महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने शरीर को पर्याप्त आराम, सही आहार और समय दें ताकि हॉर्मोनल संतुलन स्वाभाविक रूप से बहाल हो सके।


