साथ ही, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिनसे बचना चाहिए क्योंकि वे माँ और शिशु दोनों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी में फायदेमंद फूड्स कौन से हैं और किन चीजों से परहेज करना चाहिए।
प्रेगनेंसी में हेल्दी फूड्स: क्या खाना चाहिए?
गर्भावस्था में शरीर को अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है, इसलिए सही और संतुलित आहार लेना जरूरी होता है। यहाँ कुछ जरूरी और फायदेमंद खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है:
1. प्रोटीन युक्त आहार – शिशु के विकास के लिए आवश्यक
- प्रोटीन शिशु की कोशिकाओं और ऊतकों के निर्माण में मदद करता है।
- माँ की मांसपेशियों को मजबूत रखता है और ऊर्जा बनाए रखता है।
क्या खाएँ?
- दूध, दही, पनीर
- अंडे, चिकन, मछली
- दालें, राजमा, सोयाबीन
- मूँगफली, चिया सीड्स, बादाम
2. आयरन युक्त आहार – एनीमिया से बचाव के लिए
- गर्भावस्था में खून की मात्रा बढ़ती है, इसलिए शरीर को अधिक आयरन की जरूरत होती है।
- आयरन की कमी से एनीमिया, थकान और चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
क्या खाएँ?
- पालक, मेथी, ब्रोकली
- चुकंदर, अनार, खजूर
- दालें और अंकुरित अनाज
- अंडा, रेड मीट, मछली
3. कैल्शियम युक्त आहार – हड्डियों और दांतों के विकास के लिए
- शिशु की हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम आवश्यक होता है।
- माँ की हड्डियों को मजबूत बनाए रखता है और गर्भावस्था के दौरान दर्द को कम करता है।
क्या खाएँ?
- दूध, दही, छाछ
- पनीर, टोफू
- तिल, बादाम, अखरोट
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ
4. फोलिक एसिड युक्त आहार – न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाव के लिए
- शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के सही विकास के लिए फोलिक एसिड जरूरी होता है।
- गर्भावस्था की पहली तिमाही में फोलिक एसिड लेना बेहद आवश्यक है।
क्या खाएँ?
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, ब्रोकली)
- संतरा, केला, एवोकाडो
- दालें, चना, चुकंदर
- साबुत अनाज
5. ओमेगा-3 फैटी एसिड – मस्तिष्क और आँखों के विकास के लिए
- ओमेगा-3 फैटी एसिड शिशु के दिमाग और आँखों के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- यह माँ के हृदय स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।
क्या खाएँ?
- अखरोट, अलसी के बीज, चिया सीड्स
- मछली (सैल्मन, टूना)
- सोयाबीन और टोफू
6. फाइबर युक्त आहार – पाचन तंत्र के लिए जरूरी
- गर्भावस्था में कब्ज की समस्या आम होती है, जिसे फाइबर युक्त आहार से दूर किया जा सकता है।
क्या खाएँ?
- फल (सेब, केला, नाशपाती)
- हरी सब्जियाँ (गाजर, ब्रोकली)
- साबुत अनाज, ओट्स
- चिया सीड्स, फ्लैक्स सीड्स
गर्भावस्था में परहेज: किन खाद्य पदार्थों से बचें?
कुछ खाद्य पदार्थ माँ और शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान इन चीजों से बचना जरूरी है।
1. अधिक कैफीन वाले पेय पदार्थ
कैफीन का अधिक सेवन गर्भ में शिशु के विकास को प्रभावित कर सकता है।
क्या न पिएं?
- कॉफी, चाय (200mg से अधिक न लें)
- कोल्ड ड्रिंक्स और एनर्जी ड्रिंक्स
2. कच्चा और अधपका मांस व अंडा
बैक्टीरिया और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
क्या न खाएँ?
- कच्चे अंडे
- अधपकी मछली और मीट
- बिना पाश्चराइज किया हुआ दूध
3. ज्यादा तला-भुना और जंक फूड
यह हाई ब्लड प्रेशर और वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है।
क्या न खाएँ?
- पिज्जा, बर्गर, समोसा
- चिप्स, पकोड़े और अन्य तले हुए खाद्य पदार्थ
4. अधिक मीठे और प्रोसेस्ड फूड्स
गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) का खतरा बढ़ सकता है।
क्या न खाएँ?
- पैकेज्ड जूस, मिठाइयाँ
- सफेद ब्रेड, कुकीज
5. अत्यधिक नमक वाला खाना
यह हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।
क्या न खाएँ?
- अचार, पापड़
- डिब्बाबंद सूप और फास्ट फूड
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या गर्भावस्था में रोज़ नट्स खाना सुरक्षित है?
हाँ, बादाम, अखरोट और काजू प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और ओमेगा-3 के अच्छे स्रोत हैं।
2. क्या गर्भावस्था में सोया उत्पाद खाना सुरक्षित है?
हाँ, लेकिन सीमित मात्रा में, क्योंकि इसमें फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं जो हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं।
3. क्या गर्भावस्था में मसालेदार खाना सुरक्षित है?
हाँ, लेकिन बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन से एसिडिटी और अपच हो सकती है।
4. क्या गर्भावस्था में उपवास करना सही है?
नहीं, प्रेगनेंसी में उपवास से पोषण की कमी हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लें।
5. क्या गर्भावस्था में हर्बल चाय पीना सुरक्षित है?
कुछ हर्बल चाय सुरक्षित होती हैं, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी चाय न लें।
निष्कर्ष
- प्रेगनेंसी में हेल्दी फूड्स माँ और शिशु दोनों के लिए जरूरी होते हैं।
- गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए – प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और हेल्दी फैट्स से भरपूर आहार लें।
- प्रेगनेंसी में परहेज – कैफीन, जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और कच्चे खाद्य पदार्थों से बचें।
सही आहार लेने से माँ और शिशु दोनों स्वस्थ रहते हैं और गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं से बचाव होता है।