इसलिए, पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है, यह जानना बहुत जरूरी है ताकि समस्या की जड़ को पहचाना जा सके। सही समय पर जांच करवाने से डॉक्टर को यह समझने में मदद मिलती है कि आपके शरीर में कौन-से हार्मोन असंतुलित हैं और इलाज किस दिशा में किया जाना चाहिए। शुरुआती अवस्था में इसका निदान हो जाए तो यह पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

पीसीओडी की जांच कब कराएं

पीसीओडी की जांच का समय इसकी सटीकता पर सीधा असर डालता है। आम तौर पर डॉक्टर मासिक धर्म के दूसरे से पाँचवें दिन के बीच टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं क्योंकि इस दौरान हार्मोनल स्तर सामान्य स्थिति में होता है।
यदि आपके पीरियड्स 35 दिनों से ज्यादा देर से आ रहे हैं, या कई महीने से बंद हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार महिलाएं सोचती हैं कि यह सिर्फ तनाव या डाइट के कारण है, लेकिन लगातार अनियमित पीरियड्स पीसीओडी का संकेत हो सकते हैं।

कई महिलाओं को यह भी जानना होता है कि पीसीओडी में प्रेगनेंसी संभव है या नहीं – दरअसल, अगर समस्या शुरुआती चरण में है और इलाज सही समय पर किया जाए तो गर्भधारण पूरी तरह संभव है।

पीसीओडी के खून की जांच (Blood Tests for PCOD)

खून की जांच से पता चलता है कि शरीर के अंदर हार्मोनल संतुलन कितना बिगड़ा हुआ है। यह पीसीओडी के निदान का पहला और सबसे आवश्यक चरण होता है।
इस जांच में कई प्रकार के टेस्ट शामिल किए जाते हैं जो शरीर के विभिन्न हार्मोन्स और मेटाबॉलिक फंक्शन को परखते हैं:

  • LH और FSH लेवल टेस्ट: ये हार्मोन ओव्यूलेशन को नियंत्रित करते हैं।
  • Prolactin Level Test: इसका उच्च स्तर पीरियड्स रोक सकता है।
  • Thyroid Function Test: थायरॉयड असंतुलन भी पीसीओडी जैसे लक्षण पैदा कर सकता है।
  • Insulin Resistance Test: यह इंसुलिन की कार्यक्षमता बताता है।
  • Testosterone Test: उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर चेहरे पर बाल और मुंहासों का कारण बन सकता है।

इन रिपोर्ट्स से डॉक्टर को यह समझने में आसानी होती है कि यह समस्या केवल हार्मोनल है या मेटाबॉलिक भी जुड़ी हुई है।

हार्मोन लेवल टेस्ट का महत्व

हार्मोन लेवल टेस्ट से यह निर्धारित किया जाता है कि आपके शरीर में कौन-से हार्मोन सामान्य सीमा से अधिक या कम हैं।
उदाहरण के लिए, अगर LH (Luteinizing Hormone) की मात्रा FSH की तुलना में ज्यादा हो जाती है, तो अंडों का विकास रुक जाता है और पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं।
इसी तरह इंसुलिन और टेस्टोस्टेरोन का बढ़ा स्तर चेहरे पर मुंहासे, बाल झड़ना और अनचाहे बालों की वृद्धि का कारण बनता है।

अगर आप यह जानना चाहती हैं कि पीसीओडी कैसे होता है तो समझ लीजिए कि इसकी जड़ मुख्य रूप से हार्मोनल असंतुलन और अनहेल्दी जीवनशैली है।

अल्ट्रासाउंड जांच प्रक्रिया (Ultrasound Test for PCOD)

अल्ट्रासाउंड जांच में डॉक्टर ओवरी और गर्भाशय की संरचना को बारीकी से देखते हैं। अगर ओवरी में कई छोटे सिस्ट्स दिखाई देते हैं या ओवरी का आकार सामान्य से बड़ा है, तो यह पीसीओडी का संकेत माना जाता है।
यह जांच दो तरीकों से की जा सकती है – Abdominal Ultrasound और Transvaginal Ultrasound
Transvaginal जांच में ओवरी की आंतरिक स्थिति अधिक स्पष्ट दिखाई देती है, इसलिए अधिकतर मामलों में डॉक्टर यही प्रक्रिया अपनाते हैं।

यह जांच पूरी तरह सुरक्षित और दर्द रहित होती है। टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपको प्रक्रिया समझाते हैं और केवल 10–15 मिनट में रिपोर्ट तैयार हो जाती है।
अल्ट्रासाउंड से यह भी पता चलता है कि ओवरी में कितने सिस्ट्स हैं और क्या उनमें अंडों के विकास की संभावना है या नहीं।

पीसीओडी टेस्ट रिपोर्ट समझें

टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर सभी मानकों का मूल्यांकन करते हैं।
यदि रिपोर्ट में केवल हल्का हार्मोन असंतुलन दिखता है, तो डॉक्टर जीवनशैली में सुधार, संतुलित डाइट और व्यायाम की सलाह देते हैं।
लेकिन अगर ओवरी में सिस्ट्स की संख्या ज्यादा है या इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ा हुआ है, तो दवाओं या हार्मोनल थैरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

कई महिलाएं यह भी जानना चाहती हैं कि पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है? – इसका जवाब हर व्यक्ति की स्थिति, डाइट, व्यायाम और दवा की नियमितता पर निर्भर करता है।

पीसीओडी टेस्ट की लागत

भारत में पीसीओडी टेस्ट की लागत जगह, लैब की क्वालिटी और टेस्ट के प्रकार पर निर्भर करती है।
केवल ब्लड टेस्ट की लागत लगभग ₹800 से ₹1500 तक हो सकती है, जबकि यदि अल्ट्रासाउंड और हार्मोन पैनल शामिल हों तो कुल खर्च ₹2000 से ₹3500 तक पहुंच सकता है।

कई हेल्थ पैकेज अब महिलाओं के लिए “PCOD Screening Package” के रूप में उपलब्ध हैं जिनमें सभी जरूरी जांचें (जैसे LH, FSH, Testosterone, Ultrasound आदि) शामिल होती हैं।
यह न केवल सस्ता पड़ता है बल्कि एक ही जगह पूरी रिपोर्ट भी मिल जाती है।

महिलाओं में पीसीओडी के लक्षण

पीसीओडी के लक्षण हर महिला में समान नहीं होते, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण लगभग हर केस में देखे जाते हैं:

  • मासिक धर्म का अनियमित होना या पूरी तरह बंद हो जाना
  • चेहरे या ठुड्डी पर अनचाहे बाल बढ़ना
  • वजन बढ़ना और कम करने में कठिनाई
  • चेहरे पर मुंहासे, ऑयली स्किन और बाल झड़ना
  • थकान, मूड स्विंग और नींद की कमी

अगर आप यह जानना चाहती हैं कि यह समस्या आखिर क्या है, तो पढ़ें:
👉 pcod kya hai

पीसीओडी टेस्ट के लिए तैयारी कैसे करें?

टेस्ट से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकि रिपोर्ट सटीक आए:

  • जांच से पहले 8–10 घंटे का फास्ट रखें (खासकर ब्लड टेस्ट के लिए)।
  • अपने मासिक चक्र का आखिरी दिन नोट करें और डॉक्टर को बताएं।
  • कोई दवा ले रही हों तो डॉक्टर से पूछें कि उसे जारी रखना है या रोकना है।
  • मानसिक रूप से शांत रहें क्योंकि तनाव हार्मोनल स्तर को प्रभावित करता है।
  • अल्ट्रासाउंड के लिए कभी-कभी पेट भरा होना आवश्यक होता है, इसलिए जांच से पहले पर्याप्त पानी पिएं।

इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप रिपोर्ट की सटीकता बढ़ा सकती हैं और सही निदान पा सकती हैं।

निष्कर्ष

संक्षेप में, पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है यह समझना हर उस महिला के लिए जरूरी है जो अपने पीरियड्स में बदलाव, वजन बढ़ने या त्वचा से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रही है।
सही समय पर जांच करवाने से न केवल समस्या की पहचान होती है, बल्कि भविष्य में जटिलताएं भी रोकी जा सकती हैं।
डॉक्टर की सलाह के साथ-साथ संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद अपनाकर इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
समय पर जांच करवाना ही स्वस्थ और संतुलित जीवन की दिशा में पहला कदम है।डॉक्टर की सलाह के साथ संतुलित डाइट, व्यायाम और नींद अपनाकर इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।