सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला के शरीर को पूरी तरह ठीक होने में समय लगता है। डिलीवरी के बाद शरीर में चोट, थकान और हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस समय बहुत महिलाओं और उनके पति के मन में सवाल उठता है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद संबंध कब शुरू करना सुरक्षित है और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सही जानकारी और सही समय पर संबंध बनाने से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
-
गर्भावस्था
-
गर्भावस्था के चरण
-
गर्भावस्था के लक्षण और बदलाव
-
गर्भावस्था में आहार और पोषण
-
गर्भावस्था में जीवनशैली और देखभाल
-
गर्भावस्था में स्वास्थ्य समस्याएं और उसकी देखभाल
-
गर्भावस्था में आयुर्वेद और घरेलू उपाय
-
प्रसव के बाद की देखभाल
-
पीसीओडी
-
पीरियड्स
-
प्रेगनेंसी डिलीवरी डेट कैलकुलेटर
-
प्रेगनेंसी के लक्षण
-
सेक्स
-
गर्भधारण की तैयारी
-
गर्भावस्था में सेक्स और संबंध
-
बच्चे का विकास और प्रसव
-
गर्भावस्था से जुड़े मिथक और सच्चाई
-
पीरियड्स और हार्मोनल असंतुलन
-
अंडाशय की गुणवत्ता कैसे सुधारें?
-
पीसीओएस और पीसीओडी के लिए आहार और उपचार
2 महीने की प्रेगनेंसी गर्भावस्था का बेहद अहम और नाजुक चरण होता है। इस समय गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कन, दिमाग, रीढ़ की हड्डी और अन्य जरूरी अंगों का विकास शुरू हो जाता है। वहीं माँ के शरीर में हार्मोनल बदलाव तेज़ी से होते हैं, जिससे उल्टी, मतली, थकान, चक्कर और भूख कम लगने जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं। ऐसे में सही पोषण और संतुलित आहार लेना माँ और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी हो जाता है।
प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। ऐसे में कई गर्भवती महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि 2 महीने की प्रेगनेंसी में पेट दर्द क्यों होता है और क्या यह सामान्य है या किसी परेशानी का संकेत। दूसरे महीने में पेट में हल्का दर्द, खिंचाव या ऐंठन महसूस होना काफी आम बात है, लेकिन हर दर्द को नजरअंदाज करना सही नहीं होता।
दिव्य गर्भ संस्कार विज्ञान
भारतीय ऋषियों द्वारा गर्भ विद्या, माता-पिता शिक्षा और परिवार सशक्तिकरण के लिए वैदिक विज्ञान मार्गदर्शिका
गर्भधारण की योजना से लेकर बच्चे के जन्म तक हर महत्वपूर्ण चरण में संस्कार और देखभाल के सुझाव।

